Wednesday, August 6, 2008

आओ की कोई ख्वाब बुने-साहिर ludhianvi

आओ की कोई ख्वाब बुने

आओ की कोई ख्वाब बुने कल के वास्ते
वरना ये रात आज के संगीन दौर की
डस लेगी जान-ओ-दिल को कुछ ऐसे की जान-ओ-दिल
ता-उम्र फिर न कोई हसीन ख्वाब बुन सके

[बुनना = to weave; संगीन दौर = hard/difficult times]
[डस लेना = to bite; ता-उम्र = entire life]

गो हम से भागती रही ये तेज़-गाम उम्र
ख्वाबो. के आसरे पे कटी है तमाम उम्र

[तेज़-गाम = fleet footed)

जुल्फों के ख्वाब, होनठो के ख्वाब, और बदन के ख्वाब
मेराज-ऐ-फेन के ख्वाब, कमाल-ऐ-सुखन के ख्वाब

[meraaj-e-fan = (to reach) summit of art; kamaal-e-suKhan = perfection in poetry]

तहजीब-ऐ-जिंदगी के, फरोग-ऐ-वतन के ख्वाब
ज़िंदा.न के ख्वाब, कूचा-ऐ-दार-ओ-रसन के ख्वाब

[tahaziib-e-zindagii = civilized life; faroG-e-vatan = nation's progress/upliftment]
[zindaa.N = prison; kuuchaa-e-daar-o-rasan = road leading to the gallows]

ये ख्वाब ही तो अपनी जवानी के पास थे
ये ख्वाब ही तो अपने अमल के असास थे
ये ख्वाब मर गए है तो बे-रंग है हयात
यू है की जैसे दस्त-ऐ-तह-ऐ-संग है हयात

[amal = work; asaas = foundation; hayaat = life]
[dast-e-tah-e-sang = hands crushed under a stone (helpless)]

आओ की कोई ख्वाब बुने कल के वास्ते
वरना ये रात आज के संगीन दौर की
डस लेगी जान-ओ-दिल को कुछ ऐसे की जान-ओ-दिल
ता-उम्र फिर न कोई हसीन ख्वाब बुन सके

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