Saturday, May 24, 2008

ZINDAGI BHAR NAHIN BHOOLEGI

ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी वो बरसात की रात

एक अनजान हसीना से मुलाक़ात की रात

ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी



हाए वो रेशमी जुल्फों से बरसता पानी

हाए वो रेशमी जुल्फों से बरसता पानी

फूल से गालों पेः रुकने को तरसता पानी

दिल में तूफ़ान उठाते हुए दिल में तूफ़ान उठाते हुए

जज्बात की रात ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी



डर के बिजली से अचानक वो लिपटना उसका

और फिर शर्म से बलखा के सिमटना उसका

कभी देखी सुनी ऐसी हो

कभी देखी सुनी ऐसी तिलिस्मात की रात

ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी


सुर्ख आँचल को दबा कर जो निचोडा उसने

सुर्ख आँचल को दबा कर जो निचोडा उसने

दिल पेः जलता हुआ एक तीर सा छोड़ा उसने

आग पानी में लगाते हुए

आग पानी में लगाते हुए हालात की रात

ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी



मेरे नग्मों में जो बसती है वो तस्वीर थी वो

नौजवानी के हसीन ख्वाब की ताबीर थी वो

आसमानों से उतर आई हो

आसमानों से उतर आई थी जो रात की रात

ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी वो बरसात की रात

ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी

फ़िल्म : बरसात की रात (१९६०)

गायक : मोहम्मद रफी

संगीतकार : रोशन

गीतकार : साहिर

साल : १९६०

प्रोड्यूसर : श्री विश्वभार्थी फिल्म्स

निर्देशक : पी. एल. संतोषी

अभिनेता : भारत भूषण, मधुबाला, श्यामा



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