इज़हार.................
हम लफ्जों में कुछ भी इज़हार नही करते,
इसका मतलब ये नही की हम उससे अब प्यार नही करते,
चाहते है हम उसे आज भी पर,
उसकी सोच में अब अपना वक्त बेकार नही करते,
तमाशा न बन जाए कही मोहब्बत मेरी,
इसलिए अपने दर्द का इज़हार नही करते,
जो कुछ मिला है उसी में खुश है हम,
उसके लिए खुदा से तकरार नही करते,
पर कुछ तो बात है उसकी फितरत में ऐ-जालिम,
वरना उसे चाहने की खता हम बार-बार नही करते..............
No comments:
Post a Comment