पुरूष : एक था गुल और एक थी बुलबुल
पुरूष : एक था गुल और एक थी बुलबुल
दोनों चमन में रहते थे
है यह कहानी बिल्कुल सच्ची
मेरे नाना कहते थे
पुरूष : एक था गुल और एक थी बुलबुल
बुलबुल कुछ ऐसे गाती थी
ऐसे गाती थी ऐसे गाती थी
महिला : कैसे गाती थी
पुरूष : बुलबुल कुछ ऐसे गाती थी
जैसे तुम बातें करती हो
वोह गुल ऐसे शर्माता था
ऐसे शर्माता था ऐसे शर्माता था
महिला : कैसे शर्माता था
पुरूष : वोह गुल ऐसे शर्माता था
जैसे मैं घबरा जाता हूँ
बुलबुल को मालूम नहीं था
गुल ऐसे क्यूँ शर्माता था
वोह क्या जाने उसका नगमा
गुल के दिल को धड्काता था
दिल के भेद न आते लब पेह
येः दिल में ही रहते थे
एक था गुल और एक थी बुलबुल
महिला : फिर क्या हुआ?
पुरूष : लेकिन आख़िर दिल की बातें
ऐसे कितने दिन छुपती हैं
येः वोह कलियाँ है जो एक दिन
बस काँटे बन के चुभती हैं
एक दिन जान लिया बुलबुल ने
वोह गुल उसका दीवाना है
तुम को पसंद आया हो तो बोलूँ
फिर आगे जो अफसाना है
महिला : उ बोलो न चुप क्यूँ हो गए?
पुरूष : एक दूजे का हो जाने पर
वोह दोनों मजबूर हुए
उन दोनों के प्यार के किस्से
गुलशन में मशहूर हुए
साथ जियेंगे साथ मरेंगे
वोह दोनों येः कहते थे
एक था गुल और एक थी बुलबुल
महिला : फिर क्या हुआ?
पुरूष : फिर एक दिन की बात सुनाऊँ
एक सैय्याद चमन में आया
ले गया वोह बुलबुल को पकड़ के
और दीवाना गुल मुरझाया
और दीवाना गुल मुरझाया
शायर लोग बयां करते हैं
ऐसे उनकी जुदाई की बातें
गाते थे येः गीत वोह दोनों
सैय्याँ बिना नहीं कटती रातें
सैय्याँ बिना नहीं कटती रातें
महिला : हाई !!!
पुरूष : मस्त बहारों का मौसम था
आँख से आंसू बहते थे
एक था गुल और एक थी बुलबुल
आती थी आवाज़ हमेशा
येः झिलमिल झिलमिल तारों से
जिसका नाम मोहब्बत है वोह
कब रूकती है दीवारों से
एक दिन आह गुल-ओ-बुलबुल की
उस पिंजरे से जा टकराई
टूटा पिंजरा छूटा कैदी
देता रहा सैय्याद दुहाई
रोक सके न उसको मिल के
सारा ज़माना सारी खुदाई
गुल साजन को गीत सुनाने
बुलबुल बाग़ में वापस आयी
महिला : राजा बहुत अच्छी कहानी थी
पुरूष : याद सदा रखना येः कहानी
चाहे जीना चाहे मरना
तुम भी किसी से प्यार करो तो
प्यार गुल-ओ-बुलबुल सा करना
प्यार गुल-ओ-बुलबुल सा करना
प्यार गुल-ओ-बुलबुल सा करना
प्यार गुल-ओ-बुलबुल सा करना
Friday, May 30, 2008
Saturday, May 24, 2008
ZINDAGI BHAR NAHIN BHOOLEGI
ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी वो बरसात की रात
एक अनजान हसीना से मुलाक़ात की रात
ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी
हाए वो रेशमी जुल्फों से बरसता पानी
हाए वो रेशमी जुल्फों से बरसता पानी
फूल से गालों पेः रुकने को तरसता पानी
दिल में तूफ़ान उठाते हुए दिल में तूफ़ान उठाते हुए
जज्बात की रात ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी
डर के बिजली से अचानक वो लिपटना उसका
और फिर शर्म से बलखा के सिमटना उसका
कभी देखी न सुनी ऐसी हो
कभी देखी न सुनी ऐसी तिलिस्मात की रात
ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी
सुर्ख आँचल को दबा कर जो निचोडा उसने
सुर्ख आँचल को दबा कर जो निचोडा उसने
दिल पेः जलता हुआ एक तीर सा छोड़ा उसने
आग पानी में लगाते हुए
आग पानी में लगाते हुए हालात की रात
ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी
मेरे नग्मों में जो बसती है वो तस्वीर थी वो
नौजवानी के हसीन ख्वाब की ताबीर थी वो
आसमानों से उतर आई हो
आसमानों से उतर आई थी जो रात की रात
ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी वो बरसात की रात
ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी
फ़िल्म : बरसात की रात (१९६०)
गायक : मोहम्मद रफी
संगीतकार : रोशन
गीतकार : साहिर
साल : १९६०
प्रोड्यूसर : श्री विश्वभार्थी फिल्म्स
निर्देशक : पी. एल. संतोषी
अभिनेता : भारत भूषण, मधुबाला, श्यामा
एक अनजान हसीना से मुलाक़ात की रात
ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी
हाए वो रेशमी जुल्फों से बरसता पानी
हाए वो रेशमी जुल्फों से बरसता पानी
फूल से गालों पेः रुकने को तरसता पानी
दिल में तूफ़ान उठाते हुए दिल में तूफ़ान उठाते हुए
जज्बात की रात ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी
डर के बिजली से अचानक वो लिपटना उसका
और फिर शर्म से बलखा के सिमटना उसका
कभी देखी न सुनी ऐसी हो
कभी देखी न सुनी ऐसी तिलिस्मात की रात
ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी
सुर्ख आँचल को दबा कर जो निचोडा उसने
सुर्ख आँचल को दबा कर जो निचोडा उसने
दिल पेः जलता हुआ एक तीर सा छोड़ा उसने
आग पानी में लगाते हुए
आग पानी में लगाते हुए हालात की रात
ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी
मेरे नग्मों में जो बसती है वो तस्वीर थी वो
नौजवानी के हसीन ख्वाब की ताबीर थी वो
आसमानों से उतर आई हो
आसमानों से उतर आई थी जो रात की रात
ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी वो बरसात की रात
ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी
फ़िल्म : बरसात की रात (१९६०)
गायक : मोहम्मद रफी
संगीतकार : रोशन
गीतकार : साहिर
साल : १९६०
प्रोड्यूसर : श्री विश्वभार्थी फिल्म्स
निर्देशक : पी. एल. संतोषी
अभिनेता : भारत भूषण, मधुबाला, श्यामा
TERE MERE SAPNE AB EK RANG HAIN
तेरे मेरे सपने अब एक रंग हैं
ओ जहाँ भी ले जायें राहें हम संग हैं
ओ तेरे मेरे सपने अब एक रंग हैं
ओ जहाँ भी ले जायें राहें हम संग हैं
मेरे तेरे दिल का तै था एक दिन मिलना
जैसे बहार आने पर तै है फूल का खिलना
मेरे तेरे दिल का तै था एक दिन मिलना
जैसे बहार आने पर तै है फूल का खिलना
ओ मेरे जीवन साथी
तेरे मेरे सपने अब एक रंग हैं
ओ जहाँ भी ले जायें राहें हम संग हैं
तेरे दुःख अब मेरे मेरे सुख अब तेरे
तेरे ये दो नैना चाँद और सूरज मेरे
तेरे दुःख अब मेरे मेरे सुख अब तेरे
तेरे ये दो नैना चाँद और सूरज मेरे
ओ मेरे जीवन साथी
तेरे मेरे सपने अब एक रंग हैं
ओ जहाँ भी ले जायें राहें हम संग हैं
लाख मना ले दुनिया साथ न ये छूटेगा
आ के मेरे हाथों में हाथ न ये छूटेगा
लाख मना ले दुनिया साथ न ये छूटेगा
आ के मेरे हाथों में हाथ न ये छूटेगा
ओ मेरे जीवन साथी
तेरे मेरे सपने अब एक रंग हैं
ओ जहाँ भी ले जायें राहें हम संग हैं
तेरे मेरे सपने अब एक रंग हैं
फ़िल्म - गाइड
गायक - मोहम्मद रफी
संगीत - सचिन देव बर्मन
ओ जहाँ भी ले जायें राहें हम संग हैं
ओ तेरे मेरे सपने अब एक रंग हैं
ओ जहाँ भी ले जायें राहें हम संग हैं
मेरे तेरे दिल का तै था एक दिन मिलना
जैसे बहार आने पर तै है फूल का खिलना
मेरे तेरे दिल का तै था एक दिन मिलना
जैसे बहार आने पर तै है फूल का खिलना
ओ मेरे जीवन साथी
तेरे मेरे सपने अब एक रंग हैं
ओ जहाँ भी ले जायें राहें हम संग हैं
तेरे दुःख अब मेरे मेरे सुख अब तेरे
तेरे ये दो नैना चाँद और सूरज मेरे
तेरे दुःख अब मेरे मेरे सुख अब तेरे
तेरे ये दो नैना चाँद और सूरज मेरे
ओ मेरे जीवन साथी
तेरे मेरे सपने अब एक रंग हैं
ओ जहाँ भी ले जायें राहें हम संग हैं
लाख मना ले दुनिया साथ न ये छूटेगा
आ के मेरे हाथों में हाथ न ये छूटेगा
लाख मना ले दुनिया साथ न ये छूटेगा
आ के मेरे हाथों में हाथ न ये छूटेगा
ओ मेरे जीवन साथी
तेरे मेरे सपने अब एक रंग हैं
ओ जहाँ भी ले जायें राहें हम संग हैं
तेरे मेरे सपने अब एक रंग हैं
फ़िल्म - गाइड
गायक - मोहम्मद रफी
संगीत - सचिन देव बर्मन
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