Wednesday, March 24, 2010

दिया और तूफ़ान


निर्बल से लड़ाई बलवान की
निर्बल से लड़ाई बलवान की
ये कहानी है दिए की और तूफ़ान की
ये कहानी है दिए की और तूफ़ान की
एक रात अंधियारी, थी दिशाएं कारी कारी
मंद मंद पवन था चल रहा
अंधियारे को मिटाने जग में ज्योत जगाने
एक छोटा सा दिया था कहीं जल रहा
अपनी धुन में मगन उसके तन में अगन
उसकी लौ में लगन भगवान् की
ये कहानी है दिए की और तूफ़ान की

कहीं दूर था तूफ़ान
कहीं दूर था तूफ़ान
दिए से था बलवान
सारे जग को मसलने मचल रहा
झाड़ हो या पहाड़ देयूं पल में उखाड़
सोच सोच के ज़मीन पे था उछल रहा
एक नन्हा सा दिया उसने हमला किया
एक नन्हा सा दिया उसने हमला किया
अब देखो लिला विधि के विधान की
ये कहानी है दिए की और तूफ़ान की

दुनिया ने साथ छोड़ा
ममता ने मुख मोड़ा
अब दिए पे ये दुःख बढ़ने लगा
पर हिम्मत न हार
मन में मरना विचार
अत्याचार की हवा से लड़ने लगा
सर उठाना या झुकाना
या भलाई में मर जाना
घड़ी आयी उसके भी इम्तिहान की
ये कहानी है दिए की और तूफ़ान की

फिर ऐसी घड़ी आयी
फिर ऐसी घड़ी आयी
घनघोर घटा छाई
अब दिए का भी दिल लगा कांपने
बढ़े जोर से तूफ़ान
आया भरता उड़ान
उस छोटे से दिए का बल मांपने
तब दिया दुखियारा वो बेचारा बेसहारा
चला दाव पे लगाने बाज़ी प्राण की
बाज़ी प्राण की, बाज़ी प्राण की, बाज़ी प्राण की,
चला दाव पे लगाने बाज़ी प्राण की
ये कहानी है दिए की और तूफ़ान की

लड़ते लड़ते वो थका
फिर भी भुझ न सका
उसकी सोच में था बल रे सच्चाई का
चाहे था वो कमज़ोर
पर टूटी नहीं डोर
उसने बीड़ा था उठाया रे भलाई का
हुआ नहीं वो निराश
चले जब तक सांस
उसे आश थी प्रभु के वरदान की
ये कहानी है दिए की और तूफ़ान की

सर पटक पटक
पथ झटक झटक
न हटा पाया दिए को अपनी आन से
वार बार बार कर
अंत में हार कर
तूफ़ान भगा रे मैदान से
अत्याचार से उभर
जली ज्योत अमर
कही अमर निशानी बलिदान की
ये कहानी है दिए की और तूफ़ान की
निर्बल से लड़ाई बलवान की
ये कहानी है दिए की और तूफ़ान की